भगवान गणेश और भगवान शिव पार्वती का आशीर्वाद हमारे क्षेत्र में हमेशा से ही रहा है _भाजपा नेता अनिल साहू
बाल गंगाधर तिलक ने शुरू की थी भगवान गणेश की सार्वजनिक स्थापना की शुरुआत
दुर्ग। बोरसी स्थित प्रदीप्ति नगर में आदर्श गणेश उत्सव समिति के तत्वाधान में आयोजित शिव महापुराण व भगवान गणेश की आरती में सम्मिलित होने भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेतागण सम्मिलित हुए। भगवान गणेश की आरती व पूजा अर्चना के बाद समस्त अतिथियों का स्वागत किया गया जिसमें प्रमुख रूप से भारतीय मजदूर संघ के राष्ट्रीय पदाधिकारी एवं अखिल भारतीय ठेका मजदूर महासंघ के राष्ट्रीय प्रभारी वीरेंद्र कुमार, दुर्ग नगर निगम के पूर्व महापौर चंद्रिका चंद्राकर, अहिवारा नगर पालिका अध्यक्ष व जिला भाजपा उपाध्यक्ष नटवर ताम्रकार वार्ड 52 के पार्षद गायत्री साहू, श्री एच पी देशमुख मंच पर उपस्थित थे। स्वागत भाषण देते हुए समिति के अध्यक्ष वरिष्ठ भाजपा नेता अनिल साहू ने कहा कि पूर्व महापौर चंद्रिका चंद्राकर जी के कार्यकाल में क्षेत्र का सर्वांगीण विकास हुआ है भाजपा के कार्यकाल के दौरान हुए विकास कार्य, आज भी क्षेत्रवासियों के लिए एक वरदान की तरह साबित हुआ है। उन्होंने इस अवसर पर उपस्थित समस्त अतिथियो का स्वागत कर शाल श्रीफल भेटकर सम्मान भी किया। कार्यक्रम में उपस्थित सभी श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए भारतीय मजदूर संघ के राष्ट्रीय पदाधिकारी वीरेंद्र कुमार ने भगवान गणेश की पूजा घरों में और घर के बाद सार्वजनिक रूप से कैसे शुरू की गई इसके बारे में विस्तृत रूप से जानकारी देते हुए बताया कि 1630 से 1680 इस कालखंड मे महाराज छत्रपति शिवा जी द्वारा हिन्दवी स्वराज की स्थापना की गई समर्थ गुरु रामदास जी की प्रेरणा से हिन्दवी स्वराज के कुल देवता के रूप मे महाराज छत्रपति शिवा जी महाराज के द्वारा सार्वजनिक रूप से गणेश उत्सव मनाना प्रारंभ हुआ। यह धार्मिक राज्यकीय उत्सव वर्षो वर्ष चलता रहा पानीपत की तीसरी लड़ाई सन् 1761 के उपरांत पेशवा कमजोर हुए कमजोरी की हालत मे यह उत्सव सार्वजनिक स्थलो से हट सिमटकर घरेलू कार्यक्रम हो गया। उत्सव की प्रकिया हिन्दु समाज मे चलती रही,कालचक्र ने करवट बदली। लाल बाल पाल के नेतृत्व मे पुनः स्वराज्य की लड़ाई प्रारंभ हुई,समाज सुप्तअवस्था मे था बाल गंगाधर तिलक चौपाटी पर प्रतिदिन जाया करते थे समाज जाग्रति कैसे हो इस उहापोह की स्थति मे मानसिक रूप से विचलित बाल गंगाधर तिलक को एक ज्योतिपुंज के द्वारा एक प्रेरणा आई मुझे घरो से निकालिए घर से निकलकर गली मोहल्ला सार्वजनिक स्थलो पर लाइये,समाज जाग्रित हो जायेगा बाल गंगाधर तिलक को अदृश्य मार्गदर्शन मिला। गणेशोत्सव पुनः सार्वजनिक अवस्था मे मनाया जाने लगा प्रारंभ मे शनै शनै बढे रूप मे मनाया जाने लगा । 1890 के दशक मे 1893 से बाल गंगाधर तिलक ने यह कार्यक्रम प्रारंभ किया। धीरे धीरे बढता हुआ आज विश्व के कुछ देशो मे भी भगवान गणेश जी के ऐसे कार्यक्रम श्रध्दा पूर्वक प्रारंभ हो रहे है। सारांशतः भगवान गणेश की प्रेरणा से लाल बाल पाल ने ये राष्ट्रीय आध्यात्मिक आजादी की लड़ाई का आन्दोलन या भारत का स्वराज्य का आन्दोलन पुनः प्रारंभ किया गया। समाज को आध्यात्मिक व राष्ट्रीय भाव को समझते हुए भगवान गणेश की स्थापना का आयोजन करना चाहिए,सामर्थ्य के अनुसार सहयोग करना चाहिए। इसी प्रकार मूर्ति विसर्जन का कार्यक्रम महाभारत काल से जुडा हुआ है। भादो शुक्लपक्ष चतुर्थी से चतुर्दशी तक 10दिन के कार्यकाल मे व्यास जी ने भगवान गणेश जी को महाभारत सुनाई और लिपिबद्ध करने का आग्रह किया।भगवान गणेश जी ने अथक परिश्रम करते हुए व्यास जी द्वारा बताया गया कार्य सम्पन्न किया। परिणामस्वरूप शरीर शिथिल और बाद मे गर्म हो गया फिर भगवान व्यास जी ने गणेश जी को अलकनंदा मे शीतल जल से स्नान करवाया। इस घटनाक्रम के अनुसार परम्परा चली जिस ने रूढी का रूप ले लिया और धीरे धीरे भगवान गणेश जी को खुले जल मे पवित्र जल मे प्रवाहित करने का सिलसिला चल पड़ा। दुर्ग नगर निगम के पूर्व महापौर चंद्रिका चंद्राकर ने कहा कि इस क्षेत्र से उनका पुराना नाता है वह पहले भी इस क्षेत्र में अनेक विकास कार्य कर चुकी है उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के 15 वर्ष के कार्यकाल में जितने विकास कार्य हुए हैं उतने आज तक कभी नहीं हुए केवल कागजी कार्रवाई करने में आगे रही भ्रष्ट सरकार को आने वाले दिनों में उखाड़ कर फेंकना है। जिला भाजपा उपाध्यक्ष व नगर पालिका अध्यक्ष नटवर ताम्रकार ने कहा कि आज अत्यंत हर्ष का विषय है कि भगवान गणेश के साथ-साथ इस मंच से शिव महापुराण कथा का आयोजन कर इस क्षेत्र को डबल आशीर्वाद प्राप्त हो रहा है एक तरफ भगवान गणेश जी का दूसरी तरफ भगवान शिव पार्वती जी का, उन्होंने इसके लिए आयोजको की सराहना की।